Friday, September 20, 2019

इसराइल के अगले प्रधानमंत्री पर सस्पेंस बरक़रार

इसराइल चुनाव में अधिकांश मतों की गिनती के बाद प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी बेनी गैन्ट्ज़ की अगुवाई वाले गठबंधनों को बहुमत मिलता नज़र नहीं आ रहा है.
इसराइल में पिछले छह महीने में दूसरी बार आम चुनाव हुए हैं.
स्थानीय मीडिया के अनुसार, मंगलवार को हुए मतदान में दोनों प्रमुख पार्टियों को इतनी सीटें नहीं मिली हैं कि वे बहुमत की सरकार बना सकें. ऐसे में सवाल उठता है कि इसराइल का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा.
नेतन्याहू ने गैन्ट्ज़ से मिलीजुली सरकार बनाने के लिए बातचीत शुरू करने का अनुरोध किया है.
गैन्ट्ज़ ने कहा कि वो एक गठबंधन की सरकार चाहते हैं लेकिन यह तभी संभव है जब वो इसका नेतृत्व करें.
गुरुवार को येरूशलम में एक समारोह के दौरान राष्ट्रपति रेवेन रिवलिन ने प्रधानमंत्री के "महत्वपूर्ण आह्वान" का स्वागत किया.
रिवलिन किसी भी नेता को नामित करने से पहले पार्टी के प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श करेंगे. वह​ किसी ऐसे व्यक्ति को नामित करेंगे जिसके बारे में उन्हें लगेगा कि सरकार बनाने के लिए उनके पास बेहतर संभावना है.
चुनाव का रुझान क्या है?
केन्द्रीय चुनाव समिति ने गुरुवार पर केवल 68.6 प्रतिशत अधिकारिक परिणामों की घोषणा की है.
बेनी गैन्ट्ज़ की वाम रुझान वाली मध्यमार्गी पार्टी ब्लू एंड व्हाइट नेतन्याहू की दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी से 0.77 प्रतिशत मतों से आगे चल रही है.
अरब पार्टियों का एक गठबंधन तीसरे स्थान पर और अति रुढ़िवादी शास पार्टी चौथे स्थान पर और एक राष्ट्रवादी पार्टी इसराइल बेटीनू पांचवें स्थान पर है.
सीईसी के आंकड़ों में यह नहीं बताया गया है कि 120 सदस्यीय संसद में क्या समीकरण बनेगा. हालांकि इसराइली मीडिया ने ख़बर दी है कि ब्लू एंड व्हाइट ने लिकुड पार्टी से दो सीट अधिक सीट जीत कर दूसरे स्थान पर है.
ऐसा लग आ रहा है कि गैन्ट्ज़ की वाम झुकाव वाली मध्यमार्गी गठबंधन 57 सीटें हासिल कर सकती है और नेतन्याहू की अगुवाई वाली दक्षिणपंथी एवं धार्मिक पार्टियों का गठबंधन 55 सीट हासिल कर सकता है.
ऐसे में इसराइल बेटीनू के समर्थन के बिना कोई भी नेता बहुमत हासिल नहीं कर सकता है. पार्टी के नेता एविगडोर लीबरमैन ने एक "प्रभावशाली, उदार" गठबंधन सरकार का आह्वान किया है.
अधिकारियों ने बुधवार रात बताया कि प्रधानमंत्री ने अगले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने का अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया.
मंगलवार को जारी एक वीडियो में नेतन्याहू ने कहा कि उन्हें दुख है कि चुनाव परिणाम दिखा रहा है कि वो एक दक्षिणपंथी सरकार नहीं बना सके.

Tuesday, May 21, 2019

EVM: चुनाव आयोग से मिले विपक्षी दल, प्रणब मुखर्जी ने भी जताई चिंता

23 मई को घोषित होने वाले लोकसभा चुनावों के नतीजों से ठीक दो दिन पहले, मंगलवार को 21 विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने चुनाव आयोग के सदस्यों से मिलकर उन्हें ईवीएम मशीनों से जुड़ी अपनी शिकायतों से अवगत कराया.
चुनाव आयोग के सदस्यों से मुलाक़ात के बाद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने बताया की सभी विपक्षी पार्टियों ने मिलकर ईवीएम मशीनों से हो रही छेड़छाड़ की ख़बरों को लेकर अपनी चिंता चुनाव आयोग के सामने रखी.
उन्होंने आगे कहा की इस मुलाक़ात के दौरान सभी विपक्षी पार्टियों के 23 मई को वोटों की गिनती के साथ-साथ वोटर वैरिफ़ाइड पेपर ट्रेल (वीवीपैट) स्लिप का मिलान करने की माँग भी रखी.
ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "हमारी दो मोटी मांगे थीं. एक तो हर लोकसभा क्षेत्र में पाँच रैंडम पोलिंग बूथ चुनकर उन पर ईवीएम मशीनों के साथ साथ वीवीपैट स्लिपों को भी गिना जाना चाहिए. यह सबसे पहले होना चाहिए और अगर किसी एक बूथ के वीवीपैट में कोई भी ग़लती निकल आए तो उस लोक सभा क्षेत्र की पूरी काउंटिंग दोबारा की जानी चाहिए."
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया के बारे में बात करते हुए उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा, "चुनाव आयोग ने कहा कि वह इस मामले में एक बैठक करेंगे और फिर अंतिम निर्णय लेंगे. आयोग ने हमारे सुझावों और चिंताओं को खुले दिमाग़ से सुना और इस बारे में निर्णय लेने का आश्वासन भी दिया."
वहीं कांग्रेस के ही एक और नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि विपक्षी दल यह मुद्दे को बीते डेढ़ महीने से उठा रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने उनकी आपत्तियों को नज़रअंदाज़ किया.
ईवीएम से कथित छेड़छाड़ की ख़बरों के बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चुनाव आयोग से उसकी संस्थागत विश्वसनीयता सुनिश्चित करने की अपील की है.
प्रणब मुखर्जी ने ट्विटर पर एक बयान ज़ारी कर कहा है कि वे ईवीएम की सुरक्षा को लेकर आ रही ख़बरों को लेकर चिंतित हैं.
उन्होंने कहा, ''चुनाव आयोग की कस्टडी में जो ईवीएम हैं, उनकी सुरक्षा आयोग की ज़िम्मेदारी है. लोकतंत्र को चुनौती देने वाली अटकलों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. जनता का फैसला सबसे ऊपर है और इसे लेकर ज़रा सा भी संदेह नहीं होना चाहिए.''
प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि वे देश के संस्थानों पर विश्वास करते हैं. उन्होंने लिखा है, ''कोई संस्था कैसे काम करती है, यह फैसला वहां काम करने वालों का होता है. इस मामले में संस्थागत विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर है. उन्हें ऐसा करना चाहिए और इस तरह की सारी अटकलों पर विराम लगाना चाहिए.''
इससे पहले मुखर्जी ने चुनाव आयोग की सराहना करते हुए कहा था कि 2019 का लोकसभा चुनाव शानदार तरीके से संपन्न कराया गया.
चुनावी नतीजों के बाद ग़ैर एनडीए सरकार बनाने की संभावनाएं तलाशने के लिए तमाम विपक्षी पार्टियां एकजुट हुई थीं.
बैठक में कांग्रेस के अहमद पटेल, ग़ुलाम नबी आज़ाद और अशोक गहलोत के साथ-साथ तेलुगूदेसम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू, बहुजन समाजवादी पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा, सीपीआई (एम) के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा, आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तृणमूल कांग्रेस के डेरिक ऑब्राइन, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, डीएमके की कनिमोझी, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, भारतीय कांग्रेस पार्टी के मजीद मेमन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के देविंदर राणा शामिल थे.
वहीं ईवीएम मशीनों से हुई छेड़छाड़ की ख़बरों को बेबुनियाद बताते हुए चुनाव आयोग ने कहा की चुनाव के दौरान इस्तेमाल हुई इवीएम मशीनों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी है.

Wednesday, January 9, 2019

غوتيريش يطلب "مراقبين" من مجلس الأمن لنشرهم في الحديدة

طلب الأمين العام للأمم المتحدة، أنطونيو غوتيريش، من مجلس الأمن الموافقة على نشر ما يصل إلى 75 مراقبا في مدينة وميناء الحديدة في اليمن لمدة ستة أشهر، لمراقبة تطبيق اتفاق السويد الذي لاتزال ميليشيات الحوثي تراوغ في تنفيذ بنوده.
وبعد محادثات في السويد على مدى أسبوع الشهر الماضي برعاية الأمم المتحدة، توصلت جماعة الحوثي الموالية لإيران والحكومة اليمنية الشرعية إلى اتفاق بشأن الحديدة التي تمثل نقطة دخول معظم السلع التجارية وإمدادات المساعدات إلى اليمن.
وتسيطر ميليشيات الحوثي على المدينة ومينائها الاستراتيجي الذي يعد شريان حياة لملايين اليمنيين، وتعمل على نهب المساعدات الإنسانية والمواد الأولية، الأمر الذي أدى إلى أزمة إنسانية في مناطق سيطرة المتمردين.
وتدخل غالبية المساعدات والمواد الغذائية التي يعتمد عليها ملايين السكان في اليمن عبر ميناء الحديدة، حيث يعد انسحاب الميليشيات منه ضروريا لإيصال المساعدات الغذائية والدوائية للمحتاجين، إلا أن الحوثيين مستمرون بالمراوغة.
ويحاول المبعوث الدولي إلى اليمن دون نجاح حتى اللحظة، الضغط على الميليشيات لتنفيذ ما تضمنه اتفاق السويد بشأن انسحابها من مدينة الحديدة ومينائها، وإزالة أي عوائق أو عقبات تحول دون قيام المؤسسات المحلية بأداء وظائفها.
وسيكون على مجلس الأمن المؤلف من 15 دولة اتخاذ إجراء بشأن طلب غوتيريش بحلول 20 يناير الجاري تقريبا، والذي ينتهي فيه تفويض مدته 30 يوما لفريق مراقبة مبدئي قاده الجنرال الهولندي باتريك كمارت.
ولم يتضح حتى الآن عدد أفراد فريق المراقبة الموجود حاليا في الحديدة بقيادة كمارت. وقالت الأمم المتحدة، إن أفراد الفريق غير مسلحين ولا يرتدون زيا موحدا.
وفي نهاية الشهر الماضي، طلب مجلس الأمن من غوتيريش التوصية بفريق مراقبة آخر أكبر عددا. وقال دبلوماسيون إن مشروع
 وفي المقترح الذي قدمه غوتيريش للمجلس في 31 ديسمبر، واطلعت عليه رويترز، وصف الأمين العام الفريق المقترح المؤلف من 75 فردا بأنه "وجود خفيف" لمراقبة الالتزام بالاتفاق وبرهنة وتقييم الحقائق والظروف على أرض الواقع.
وكتب غوتيريش قائلا "ستكون هناك أيضا حاجة لموارد وأصول ملائمة لضمان أمان وأمن أفراد الأمم المتحدة، بما في ذلك مركبات مدرعة وبنية تحتية للاتصالات وطائرات ودعم طبي ملائم".
وأضاف "تمثل هذه الموارد شرطا مسبقا (لضمان) البداية الناجحة والمستدامة (لمهمة) البعثة المقترحة".
وتابع قائلا، إن بعثة المراقبة الأكبر عددا ستساهم في مساندة "العملية السياسية الهشة" التي أعاد إطلاقها مبعوث الأمم المتحدة لليمن مارتن غريفيث الذي يسعى لترتيب جولة أخرى من المحادثات بين الطرفين المتحاربين هذا الشهر.
ومن المقرر أن يدلي غريفيث ومارك لوكوك منسق شؤون الإغاثة بالأمم المتحدة بإفادة أمام مجلس الأمن بشأن الوضع في اليمن غدا الأربعاء.
قالت صحف سعودية وبحرينية، الثلاثاء، إن مواقعها الإلكترونية تتعرض لهجمات من قبل قراصنة إنترنت مرتبطين بإيران وميليشيات الحوثي الموالية لها.
وذكرت صحيفة "عكاظ" السعودية في بيان نشرته على حسابها بموقع "توتير" تعليقا على محاولة اختراق موقعها وموقع صحيفة "سعودي جازيت"، أن "جهات خبيثة موالية لإيران تحاول اختراق الصحيفتين".
وكان من المتعذر على المستخدمين تصفح موقع الصحيفتين في ساعات مساء الثلاثاء.
وفي البيان الذي حمل عنوان ""قلعتان منيعتان في وجه الأعداء"، شدد رئيس تحرير صحيفة "عكاظ" والمشرف العام على صحيفة "سعودي جازيت"، جميل الذيابي، أن حادثة ومحاولة اختراق موقعي الصحيفتين "ستزيد من إصرار هيئتي تحرير الصحيفتين على مواصلة كشف الجرائم الحوثية في اليمن".
وأكد مدير تحرير النشر الإلكتروني، سعد الخشرمي، "أن جهات خبيثة موالية لإيران حاولت عشرات المرات اختراق موقعي الصحيفتين، مشيرا إلى أن التقنيين أوقفوا موقعي "عكاظ" و"سعودي جازيت" خلال الساعات المقبلة احترازيا"القرار بالموافقة على مقترح غوتيريش لم تقدمه إلى المجلس حتى الآن أي من الدول الأعضاء