Tuesday, May 21, 2019

EVM: चुनाव आयोग से मिले विपक्षी दल, प्रणब मुखर्जी ने भी जताई चिंता

23 मई को घोषित होने वाले लोकसभा चुनावों के नतीजों से ठीक दो दिन पहले, मंगलवार को 21 विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने चुनाव आयोग के सदस्यों से मिलकर उन्हें ईवीएम मशीनों से जुड़ी अपनी शिकायतों से अवगत कराया.
चुनाव आयोग के सदस्यों से मुलाक़ात के बाद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने बताया की सभी विपक्षी पार्टियों ने मिलकर ईवीएम मशीनों से हो रही छेड़छाड़ की ख़बरों को लेकर अपनी चिंता चुनाव आयोग के सामने रखी.
उन्होंने आगे कहा की इस मुलाक़ात के दौरान सभी विपक्षी पार्टियों के 23 मई को वोटों की गिनती के साथ-साथ वोटर वैरिफ़ाइड पेपर ट्रेल (वीवीपैट) स्लिप का मिलान करने की माँग भी रखी.
ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "हमारी दो मोटी मांगे थीं. एक तो हर लोकसभा क्षेत्र में पाँच रैंडम पोलिंग बूथ चुनकर उन पर ईवीएम मशीनों के साथ साथ वीवीपैट स्लिपों को भी गिना जाना चाहिए. यह सबसे पहले होना चाहिए और अगर किसी एक बूथ के वीवीपैट में कोई भी ग़लती निकल आए तो उस लोक सभा क्षेत्र की पूरी काउंटिंग दोबारा की जानी चाहिए."
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया के बारे में बात करते हुए उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा, "चुनाव आयोग ने कहा कि वह इस मामले में एक बैठक करेंगे और फिर अंतिम निर्णय लेंगे. आयोग ने हमारे सुझावों और चिंताओं को खुले दिमाग़ से सुना और इस बारे में निर्णय लेने का आश्वासन भी दिया."
वहीं कांग्रेस के ही एक और नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि विपक्षी दल यह मुद्दे को बीते डेढ़ महीने से उठा रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने उनकी आपत्तियों को नज़रअंदाज़ किया.
ईवीएम से कथित छेड़छाड़ की ख़बरों के बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चुनाव आयोग से उसकी संस्थागत विश्वसनीयता सुनिश्चित करने की अपील की है.
प्रणब मुखर्जी ने ट्विटर पर एक बयान ज़ारी कर कहा है कि वे ईवीएम की सुरक्षा को लेकर आ रही ख़बरों को लेकर चिंतित हैं.
उन्होंने कहा, ''चुनाव आयोग की कस्टडी में जो ईवीएम हैं, उनकी सुरक्षा आयोग की ज़िम्मेदारी है. लोकतंत्र को चुनौती देने वाली अटकलों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. जनता का फैसला सबसे ऊपर है और इसे लेकर ज़रा सा भी संदेह नहीं होना चाहिए.''
प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि वे देश के संस्थानों पर विश्वास करते हैं. उन्होंने लिखा है, ''कोई संस्था कैसे काम करती है, यह फैसला वहां काम करने वालों का होता है. इस मामले में संस्थागत विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर है. उन्हें ऐसा करना चाहिए और इस तरह की सारी अटकलों पर विराम लगाना चाहिए.''
इससे पहले मुखर्जी ने चुनाव आयोग की सराहना करते हुए कहा था कि 2019 का लोकसभा चुनाव शानदार तरीके से संपन्न कराया गया.
चुनावी नतीजों के बाद ग़ैर एनडीए सरकार बनाने की संभावनाएं तलाशने के लिए तमाम विपक्षी पार्टियां एकजुट हुई थीं.
बैठक में कांग्रेस के अहमद पटेल, ग़ुलाम नबी आज़ाद और अशोक गहलोत के साथ-साथ तेलुगूदेसम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू, बहुजन समाजवादी पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा, सीपीआई (एम) के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा, आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तृणमूल कांग्रेस के डेरिक ऑब्राइन, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, डीएमके की कनिमोझी, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, भारतीय कांग्रेस पार्टी के मजीद मेमन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के देविंदर राणा शामिल थे.
वहीं ईवीएम मशीनों से हुई छेड़छाड़ की ख़बरों को बेबुनियाद बताते हुए चुनाव आयोग ने कहा की चुनाव के दौरान इस्तेमाल हुई इवीएम मशीनों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी है.